आज सुबह से ही अर्पित बहुत खुश था। क्योंकि आज उसनें अजीता को प्रपोज किया था। हॉलांकि उसका जबाब अभी आया नही था। लेकिन अजीता के हॉव भाव ने पहले ही जबाब दे दिया। दो दिलों का मिलन तो कब का हो चुका था। सिर्फ जुबां से इजहार बाकी था। अर्पित और अजीता की मुलाकात 1 महीना पहले में अर्पित के मामा के घर हुई थी। वो पडोस में ही रहती थी। दोनों ने एक दूसरे को देखा तो एक दूसरे की तरफ आकर्षित हो गये। कहते हैं कि प्यार किया नही जाता हो जाता है शायद यही इन दोनों के साथ हुआ था। लेकिन अभी तक दोनों इससे अनजान थे।
अर्पित के मामा की लडकी आरूषि अजीता की दोस्त थी और उससे मिलने उसके यहॉ आया करती थी। वहॉ अजीता और अर्पित एक दूसरे से बात करते। एक दूसरे के बारे में पूछते और फिर भूल जाते। यह सब एक महिने तक चला। फिर अर्पित को वापस अपने घर आना पडा। छुटिटया जो खत्म हो गयी थी। खैर अर्पित ने अजीता से उसका मोबाइल नम्बर ले लिया और घर वापस आ रहा था। उसके चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन उसे बार बार लग रहा था कि वो कुछ भूल रहा है। क्या पता नही। और इधर अजीता भी मायूस थी। वैसे तो अर्पित आरूषि के घर आया था लेकिन अजीता को लग रहा था जैसे वो उसके यहॉ आया हो। जैसे शादी के घर से जब सारे रिश्तेदार चले जाते हैं तो घर वीरान लगता है। अजीता को अर्पित के जाने के बाद ठीक वैसा ही लग रहा था। क्यो पता नहीं। दिन गुजर गया अर्पित अपने घर पहुच गया। लेकिन उसे अपना घर अपना कहॉ लग रहा था। क्यों पता नही। एक दिन बाद जब वो अपने कमरें में गुमसुम से लेटा हुआ था और अपने मोबाइल में फीड कॉन्टेक्ट नम्बर एक एक करके देख रहा था तभी उसकी ऑखों के सामने अजीता का कॉन्टेक्ट नम्बर आया और उसने तुरन्त वो नम्बर डायल कर दिया। पर ये क्या अजीता ने पहली घण्टी पर ही फोन उठा लिया। शायद वो तो अर्पित के फोन का इन्जार ही कर रही थी।
अर्पित के मामा की लडकी आरूषि अजीता की दोस्त थी और उससे मिलने उसके यहॉ आया करती थी। वहॉ अजीता और अर्पित एक दूसरे से बात करते। एक दूसरे के बारे में पूछते और फिर भूल जाते। यह सब एक महिने तक चला। फिर अर्पित को वापस अपने घर आना पडा। छुटिटया जो खत्म हो गयी थी। खैर अर्पित ने अजीता से उसका मोबाइल नम्बर ले लिया और घर वापस आ रहा था। उसके चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन उसे बार बार लग रहा था कि वो कुछ भूल रहा है। क्या पता नही। और इधर अजीता भी मायूस थी। वैसे तो अर्पित आरूषि के घर आया था लेकिन अजीता को लग रहा था जैसे वो उसके यहॉ आया हो। जैसे शादी के घर से जब सारे रिश्तेदार चले जाते हैं तो घर वीरान लगता है। अजीता को अर्पित के जाने के बाद ठीक वैसा ही लग रहा था। क्यो पता नहीं। दिन गुजर गया अर्पित अपने घर पहुच गया। लेकिन उसे अपना घर अपना कहॉ लग रहा था। क्यों पता नही। एक दिन बाद जब वो अपने कमरें में गुमसुम से लेटा हुआ था और अपने मोबाइल में फीड कॉन्टेक्ट नम्बर एक एक करके देख रहा था तभी उसकी ऑखों के सामने अजीता का कॉन्टेक्ट नम्बर आया और उसने तुरन्त वो नम्बर डायल कर दिया। पर ये क्या अजीता ने पहली घण्टी पर ही फोन उठा लिया। शायद वो तो अर्पित के फोन का इन्जार ही कर रही थी।
अर्पित- हैलो,
अजीता- हाय
अर्पित- कैसी हो
अजीता- ठीक हू तुम कैसे हो
अर्पित- मैं भी ठीक हू
फिर एक पल के लिये दोनों तरफ से खामोशी
अजीता- फोन क्यों किया
अर्पित- अरे हॉ वो आरूषि से बात करनी थी उसका फोन लग नही रहा तो सोचा तुम्हारे पास फोन करके उससे बात कर लू
क्या तुम उसे बुला दोगी
अजीता- हॉ क्यों नही (इस बार उसकी आवाज में कुछ बदलाव था। उसनें आरूषि को बुला दिया)
अब आरूषि फोन पर थी और बेचारा अर्पित बेमन से आधे घण्टे तक आरूषि से बात करता रहा प्यार में अक्सर ऐसा होता है।
जब फोन कट गया तो अर्पित को महसूस हो गया था कि वो क्या भूल रहा था। और अजीता को भी कुछ एहसास हो रहा था। दूसरे दिन फिर अर्पित ने फोन किया और अजीता ने उठाया। लेकिन आज अर्पित ने केवल अजीता से बात की। ऐसा चलता रहा काफी दिनों तक । फिर अर्पित की बहन अनामिका की शादी करीब आ गई और अर्पित को मामा जी के यहॉ न्योता देना जाने का मौका मिला। वो अजीता के घर भी गया और उसे आरूषि के साथ्ा आने की कहकर वापस चला गया। शादी से चार दिन पहले जब आरूषि अजीता को लेकर घर पहुची तो अर्पित तो हक्का बक्का रह गया। क्या लग रही थी यार अजीता। उसने अजीता का सामान रखवाया और उसका कमरा दिखानें ले गया। एक दिन ऐसे ही गुजर गया। अर्पिता की आवभगत में। उसने गौर किया कि उसके दोस्त और शादी में आये कुछ लडके अजीता पर लाइन मार रहे हैं तो उसने उन सब में अफवाह फैला दी कि अजीता और अर्पित का अफेयर चल रहा है। फिर क्या था दोस्तो की वो ही पुरानी वाली गन्दी हरकत कहने लगे- भाभी से बात करा दे। अब अर्पित बुरा फॅस गया। लेकिन कैसे भी कर के उसने दोस्तो को सम्भाले रखा। फिर मेंहदी की रस्में, शादी की तमाम रस्में, अजीता सब में बढ चढकर हिस्सा ले रही थी। और छोटे से छोटे काम के लिये भी अर्पित को कह रही थी। अर्पित को तो मजा आ रहा था। ऐसा करने से उन दोनों को एक दूसरे के पास रहने का ज्यादा मौका मिल रहा था क्योंकि भीड की वजह से कोई उन पर ध्यान ही नही दे रहा था। उनका प्रेम चरम पर था। (ऐसा अक्सर आप लोगो के साथ भी हुआ होगा)
फिर देखते ही देखते शादी हो गयी। जीजा जी दीदी को ब्याह ले गये। सारे काम खत्म हो गये। सभी रिश्तेदार एक एक कर के जाने लगे। अजीता ने भी सामान पैक कर लिया। वो भी जा रही थी। आज अर्पित ने उससे अकेले में मिलने के लिये बुलाया।
अजीता- क्यों बुलाया मुझे
अर्पित- जा रही हो
अजीता- हॉ
अर्पित- क्यों
अजीता- मैं तुम्हारे क्यों का मतलब नही समझी
अर्पित- आई लव यू
अजीता खामोश हो गयी। फिर मुस्कराई और यह कहते हुये वहॉ से भागी। फिर मिलेंगे।
अजीता जा रही थी। लेकिन अर्पित खुश था। क्योंकि जल्द ही अजीता उसे फोन कर प्रपोज करेगी। और ऐसा हुआ भी। अर्पित ने लडकियों के बारे सुन रखा था कि लडकियॉ कितना भी आपको चाहे लेकिन अगर आप उन्हे प्रपोज करोगे तो भाव जरूर खाऐंगी और थोडा टाइम भी लगायेंगी। इसलिये अर्पित अजीता को लेकर नो टेंशन था। उसका जबाब तो वैसे भी उसे मिल ही चुका था।
कहानी बस यहीं खत्म होती है। हम दुआ करते हैं कि अर्पित और अजीता की तरह हर प्यार करने वाले की जोडी सलामत रहे।
चलते चलते कुछ कहना चाहता हू
दिल में इक उमंग फिर से उठी
मेरी ये कलम फिर से उठी
फिर बैचेन हुआ आज 'सागर'
प्यार की एक लहर फिर से उठी
फारूक अब्बास 'सागर'