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इश्‍‍क दा रंग

मॉ मै आज देर से आउंगा। जूते के फीते बॉधते हुये करन ने अपनी मॉ से कहा। मॉ ने कहा खाना खाते हुये जा। तो करन ने कहा कि आकर खा लूगा या वहीं खा लूगा। यह कहकर करन बाहर निकल गया। मॉ सोच में पड गयी कि आखिर करन को यह हुआ क्‍या है। ये सब दो महीने से चल रहा था। मॉ को क्‍या पता करन पर इश्‍क का रंग चढ चुका था। एक लडकी जिसे सिर्फ देखनें के लिये घण्‍टों गॉधी पार्क के पास खडा रहता था। वो वहॉ म्‍यूजिक की क्‍लास में पढाती थी। अक्‍सर वह करन को देखती थी। लेकिन कहती कुछ नही। उसका नाम कामिनी था। वह करन का नाम भी नही जानती थी। करन को रोजाना एक ही जगह खडा देखकर उसे महसूस तो हुआ था कि शायद करन उसके लिये ही वहॉ आता है। लेकिन उससे कुछ पूछना अंधेरे में तीर चलाने जैसा था।
ये सब चलता रहा। दोनों एक दूसरे को देखते करन आशिकी की नजरों से और कामिनी अजनबी नजरों से पर कहते किसी से कुछ नही। एक दिन करन को पता चला कि कामिनी अपने कुछ स्‍टूडेन्‍ट के साथ शहर के चिनार थियेटर में परफार्म करने वाली है। उसने वहॉ की एडवान्‍स टिकिट खरीद ली। जब कामिनी ने वहॉ परफॉर्म करना शुरू किया तो उसने नोटिस किया कि करन उसे देखे जा रहा था और उसनें एक पल के लिये भी अपनी ऑखें क‍ामिनी से नही हटाई। कामिनी से रहा नही गया उसनें शो के खत्‍म होने के बाद अपनी एक फ्रेन्‍ड कल्‍पना से कहकर करन को बैक स्‍टेज बुला लिया और करन से कहा कि ''मैं काफी दिनों से देख रही हू तुम मेरा पीछा कर रहे हो'' करन के मन में आया कि सारी दिल की बात आज उससे कह दे लेकिन माहौल और उसके जुबान ने उसका साथ नही दिया। करन ने कहा '' मै म्‍यूजिक सीखना चाहता हू इसलिये रोजाना तुम्‍हारे म्‍यूजिक क्‍लास की तरफ जाता था। लेकिन मुझे म्‍यूजिक की एबीसीडी भी नही आती इसलिये अन्‍दर जाने की हिम्‍मत नही जुटा पाया। और तुमको लगता था कि मैं तुम्‍हारा पीछा कर रहा हू''  कामिनी करन की बात सुनकर पहले तो हसी फिर बोली '' हर काम की शुरूआत जीरो से होती है तुम म्‍यूजिक की क्‍लास में जाओंगे नही तो सीखोगे कैसे। वैसे हमारी क्‍लास अब पन्‍द्रह दिन और चलेगी बस उसके बाद वो घूमनें के लिये अपने जीजाजी के यहॉ अमेरिका चली जायेगी। तुम चाहो तो बस इन पन्‍द्रह दिन में कुछ सीख सकते हो।'' करन पहले तो निराश हुआ कि पन्‍द्रह दिन बाद क‍ामिनी अ‍मेरिका चली जायेगी। फिर सोचा अब तो उसकी कामिनी से मुलाकात हो गयी है और पन्‍द्रह दिनों के अन्‍दर अपने दिल बात कामिनी से कह देगा। ''किस सोच में पड गये कल से तुम क्‍लास ज्‍वाइन कर सकते हो'' कामिनी ने करन से कहा। करन ने कहा '' ओके'' और फिर चल दिया। फिर कामिनी ने करन से आवाज दी और कहा '' मेरा नाम कामिनी है और तुम्‍हारा'' करने ने मुस्‍कराते हुये कहा ''करन'' करन खुश था। घर जाकर वो दूसरे दिन के बारे में सोचने लगा। उसको रात में नींद भी मुश्किल से आयी। जैसे तैसे सुबह हुई तो करन तैयार होकर टाइम से पहले गॉधी पार्क पहुच गया। लेकिन यह क्‍या कामिनी तो उससे पहले ही वहॉ पहुच चुकी थी। करन का पहला दिन क्‍लास में इन्‍ट्रोडक्‍शन मे ही निकल गया। करन अब बदलने लगा था। कामिनी जो उसके साथ थी। करन रोजाना सबसे पहले क्‍लास जाता और सबसे बाद में वापस आता। म्‍यूजिक तो बहाना था असल मकसद तो कामिनी का दिल चुराना था। कामिनी भी करन से अच्‍छी तरह घुल गयी। क्‍योंकि क्‍लास में आने वाले सभी स्‍टूडेन्‍टस अभी छोटे थे। करन ही सिर्फ उसका हमउम्र था। उन पन्‍द्रह दिनों में दोनो ने एक दूसरे के बारे में सब कुछ जान लिया। करन के पिता की बाजार में एक किराने की दुकान थी। और कामिनी के पिता शहर के प्रतिष्ठित डॉक्‍टर। करन अपने मॉ बाप का इकलौती सन्‍तान था। और कामिनी एक भाई और दो बहनों में सबसे छोटी थी। कामिनी का भाई दिल्‍ली में कपडे का व्‍यापार करता था। और बहन की शादी हो चुकी थी। वो अपने पति के साथ अमेरिका में रहती थीं। पन्‍द्रह दिन कब गुजर गये करन को पता ही नही चला और वह कामिनी से अपनी दिल की बात भी नही कह पाया। कहना तो दूर महसूस भी नही करा पाया। क्‍लास के आखिरी दिन में सबने पार्टी की और एक दूसरे से विदाई ली। जाते जाते कामिनी ने करन को एक गिटार गिफ्ट की। लेकिन करन तो अभी ढंग से बजाना भी नही सीखा था। सब खुश थे। स्‍टूडेन्‍टस, कामिनी लेकिन करन खुश नही था। क्‍योंकि उसकी जिन्‍दगी उससे दूर जा रही थी। वो रात भर सोया नही। दूसरे दिन फिर गॉधी पार्क पहुचा लेकिन वहॉ कोई नही था। ये बात तो करन को पहले से पता थी। लेकिन दिल को तसल्‍ली देने के लिये वहॉ आ गया था। करन ने लाख कोशिश की कि कैसे भी कामिनी का मोबाइल नम्‍बर मिल जाये। लेकिन सब बेकार। देखते देखते दो महीने गुजर गये। करन उसकी याद में पहले से आधा हो चुका था। दो महीने बाद कामिनी वापस आयी तो करन को देखकर हैरान हो गयी। लेकिन करन खुश था। पर उसकी खुशी ज्‍यादा देर नही रही जब कामिनी ने मुस्‍कराते हुये उसे अपने हाथ की उगली में पहनी हुई अंगूठी दिखाई। कामिनी ने कहा कि एक महीने बाद उसकी शादी होने वाली है। लडका उसके जीजा जी का छोटा भाई है। करन उल्‍टे पॉव वापस लौट गया। कामिनी ने उस बात पर ज्‍यादा ध्‍यान नही दिया। वो वापस घर चली गई। उस दिन करन अपने कमरे में ही रहा न तो किसी से बात की और न ही खाना खाया। रात पर अपनी नाकामयाबी पर ऑसू बहाता रहा। फिर कामिनी का फोन आया। उसने करन से कहा कि उसे मार्केट जाना है क्‍या वो आ सकता है। करन ने कहा कि वो आयेगा। और सोचा कि वो उसे आज सब कुछ बता देगा। वो कामिनी को एक रेस्‍टोरेन्‍ट में ले गया। और कहा '' आई लव यू कामिनी'' कामिनी एक दम चौंक पडी ''क्‍या'' कामिनी ने आश्‍चर्य से पूछा। '' आई लव यू तुमसे प्‍यार करता हू '' करन ने फिर दोहराया। कामिनी-'' तुम पागल हो गये हो करन'' करन- '' हॉ तुम्‍हारे प्‍यार में'' कामिनी ने कुछ कहा नही वहॉ से उठ के चली आयी। करन को य‍ह बिल्‍कुल अच्‍छा नही लगा । रात को कामिनी का फोन आया। उसने फोन पर बताया कि वो कबीर से प्‍यार करती है ।  और उससे उसकी शादी होने वाली इसलिये करन उसे भूल जाये। उसकी शादी में २० दिन ही दिन शेष रह गये हैं। और वो चाहती है कि करन उसकी शादी में आये। करन ने कहा कि वो उसकी शादी में जरूर आयेगा। देखते ही देखते शादी का दिन भी आ गया। कामिनी की शादी भी हो गयी। लेकिन करन नही आया। कामिनी की ऑखे करन को ढूढ रही थी। तभी एक लडका आया उसने कामिनी को एक बुके दिया और कहा कि करन ने मरने से पहले यह बुके और यह खत तुम्‍हे देने के लिये कहा था। करन के मरने की बाद सुनकर कामिनी के होश उड गये। लडके ने बताया करन ने बीस दिन पहले आत्‍म हत्‍या करली थी। कामिनी रोने लगी फिर उसकी नजर उस बुके पर गयी जिस में लाल गुलाब के फूल लगे हुये थे और साथ में एक खत भी था। जिसमें लिखा था कामिनी याद है तुमने मुझसे फोन पर कहा था कि मुझे भूल जाओ लेकिन मैं जिन्‍दा रहकर तुम्‍हे कैसे भूल पाता। मैनें तुमसे कहा था कि मैं तुम्‍हारी शादी में आउंगा। सॉरी मैं नही आ सका लेकिन मेरा तोहफा तुम्‍हारे पास पहुच गया। यह लाल गुलाब तुम्‍हे पसंन्‍द थे। इसलिये तुम्‍हे भिजवायें हैं। पर इन गुलाबों में तुम मुझे तलाश मत करना क्‍योंकि इन गुलाबों का रंग तो फीका पड जाता है लेकिन मैं तो आशिक हू और इश्‍क का रंग कभी फीका नही पडता। कामिनी फूट फूट कर रोने लगी। शायद उसे करन के प्‍यार का एहसास हो चुका था। लेकिन अब देर हो चुकी थी।

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ये इश्‍क का रंग कभी फीका नही पडता